बुधवार, 13 अक्तूबर 2010

वक्त की साजिश

किनारे पर खड़े रह कर
खुद को दरिया में ढूबते देखा
उस लम्हे को भी किश्ती में बैठे देखा
जो अभी अभी मेरे साथ
किनारे पर खड़ा था

6 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

उफ़ चंद पंक्तियो मे ही सब कह दिया।

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (15/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

किनारे पर खड़े रह कर
खुद को दरिया में ढूबते देखा

अद्भुत ...सुन्दर लेखन

Dorothy ने कहा…

बहुआयामी बिंबयुक्त खूबसूरत रचना. आभार.
सादर
डोरोथी.

हरीश सिंह ने कहा…

आदरणीय मनविंदर जी , सादर प्रणाम

आपके बारे में हमें "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर शिखा कौशिक व शालिनी कौशिक जी द्वारा लिखे गए पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली, जिसका लिंक है...... http://www.upkhabar.in/2011/03/jay-ho-part-2.html

इस ब्लॉग की परिकल्पना हमने एक भारतीय ब्लॉग परिवार के रूप में की है. हम चाहते है की इस परिवार से प्रत्येक वह भारतीय जुड़े जिसे अपने देश के प्रति प्रेम, समाज को एक नजरिये से देखने की चाहत, हिन्दू-मुस्लिम न होकर पहले वह भारतीय हो, जिसे खुद को हिन्दुस्तानी कहने पर गर्व हो, जो इंसानियत धर्म को मानता हो. और जो अन्याय, जुल्म की खिलाफत करना जानता हो, जो विवादित बातों से परे हो, जो दूसरी की भावनाओ का सम्मान करना जानता हो.

और इस परिवार में दोस्त, भाई,बहन, माँ, बेटी जैसे मर्यादित रिश्तो का मान रख सके.

धार्मिक विवादों से परे एक ऐसा परिवार जिसमे आत्मिक लगाव हो..........

मैं इस बृहद परिवार का एक छोटा सा सदस्य आपको निमंत्रण देने आया हूँ. आपसे अनुरोध है कि इस परिवार को अपना आशीर्वाद व सहयोग देने के लिए follower व लेखक बन कर हमारा मान बढ़ाएं...साथ ही मार्गदर्शन करें.


आपकी प्रतीक्षा में...........

हरीश सिंह


संस्थापक/संयोजक -- "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/

Ojaswi Kaushal ने कहा…

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neelima garg ने कहा…

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