देह एक केनवस की तरह होती है
फिर तुम मिले
केनवस पर रंग उभरने लगे
रंगों में सांस आने लगी
लकीरों में आकार उभरने लगे
आकार अपनी धुन में थे
कुछ कह रहे थे
रंगों ने सुना
उन पर निखार आ गया
बहार सी बरसने लगी
फिर देखते देखते केनवस पर समंदर फैल गया
तभी एक नूर सा उभरा समंदर में
उसने हाथ उठा कर दिया आशीर्वाद
कुछ देर के बाद नूर अलोप हो गया
समंदर भी अलोप हो गया
देह और रंग भी गायब थे
कैनवस पर रहे गये
दो किनारे
जिनके बीच बह रही थी निर्मल धारा