रविवार, 28 सितंबर 2008

वो कुछ पल

वो कुछ पल
जो मुझे याद आते हैं
उन पलों में कभी मैं थमती
तो
कभी फिर चल देती हूँ

12 टिप्‍पणियां:

Richa Joshi ने कहा…

पल हमेशा याद रहें और आपकी इसी तरह लिखती रहें।

सुनीता शानू ने कहा…

मुझे नही मालूम था आप कविता भी करती है। आपके पास शब्दों को अभिव्यक्त करने का अच्छा माध्यम हैं, बहुत अच्छा लगा पढ़ कर, कांटॆ वाली कविता भी बहुत अच्छी लगी...

Udan Tashtari ने कहा…

चन्द पंक्तियों में पूरी बात. वाह!!

ilesh ने कहा…

वो कुछ पल
जो मुझे याद आते हैं
उन पलों में कभी मैं थमती
तो
कभी फिर चल देती हूँ
zindgi se gujare kuchh suhane pal hi sayad jeena ka bahana ban jate he aur usi ke sahare ham manjhil tak chalte chalte he...bahot khub short and thoutful....

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

याद रखेंगे वो पल
जिनमे तू कभी थमती
कभी फ़िर देती चल

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut sundar ,
un palo mein thamna hi yaadon ko yaad karna hai .

meri badhai sweekaren .

pls visit my blog for my poems. http://poemsofvijay.blogspot.com/

dhanyawad.

vijay

Vinay ने कहा…

नववर्ष की शुभकामनाएँ

बेनामी ने कहा…

अब थोड़ा आगे चलिए। सितंबर से यहीं थमी हुईं हैं आप। नई पोस्‍ट का इंतजार रहता है।

ओम आर्य ने कहा…

kabhi kabhi yun bhi hota hai ki jahan se chalna chahen wahan rukna padta hai aur jahan rukna chahen, wahan se dhakel diya jata hai.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

रचना अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....

मनीष राज मासूम ने कहा…

wah! zindagi chalati rahegi..

Resume ने कहा…

अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति |