गीत उलझ गये हैं दिल की गलियों में
बोल अटक गये हैं होठों पर
कुछ लिखना है
पर अक्षर हैं कि बकाबू हैं
इधर से उधर
और उधर से इधर
उडते फिरते हैं ख्यालों की तरह
कब से कागज ले कर बैठी हूं
जिस पर लिखा है
तेरा नाम
सिर्फ तेरा नाम
चलो जाने दो
होने दो अक्षरों को बेकाबू
तेरा नाम ही काफी है
इससे अच्छा गीत क्या होगा
बोल अटक गये हैं होठों पर
कुछ लिखना है
पर अक्षर हैं कि बकाबू हैं
इधर से उधर
और उधर से इधर
उडते फिरते हैं ख्यालों की तरह
कब से कागज ले कर बैठी हूं
जिस पर लिखा है
तेरा नाम
सिर्फ तेरा नाम
चलो जाने दो
होने दो अक्षरों को बेकाबू
तेरा नाम ही काफी है
इससे अच्छा गीत क्या होगा
4 टिप्पणियां:
तेरा नाम ही काफी है
इससे अच्छा गीत क्या होगा
गुलजार की याद आ गई इसको पढ़ते हुए :)
बहुत खूब।
पसंद आया।
बहुत अच्छा गीत ।
आशा है कि हमें को आपके गीत नियमित पढने को मिलेगें ।
bahut khoobsurat aapka andaz, jaisi khud hain aap.
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