सावन तो आ गया है
लेकिन बस
आंखों में समा गया है
साथ ही छलक उठे वे कई सावन
जो साथ गुजारे थे
जब सीने में सजा था इक ख्वाब
जब टूट के बिखरा था इक ख्चाब
सावन तो आ गया है
लेकिन बस
आंखों में समा गया है
लेकिन बस
आंखों में समा गया है
साथ ही छलक उठे वे कई सावन
जो साथ गुजारे थे
जब सीने में सजा था इक ख्वाब
जब टूट के बिखरा था इक ख्चाब
सावन तो आ गया है
लेकिन बस
आंखों में समा गया है
1 टिप्पणी:
जब सीने में सजा था इक ख्वाब
जब टूट के बिखरा था इक ख्चाब
सावन तो आ गया है
लेकिन बस
आंखों में समा गया है
short but sweet....achhe khayal rahe......
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