मंगलवार, 19 अगस्त 2008

देखो....देखो

देखो
अब तुम ये मत कहना
मैं चांद को न देखूं
बरसती चांदनी को निहारना छोड़ दूं
मुझे मत रोको
करने दो मुझे भी मन की
आज का चांद मैं देखूंगी
पूर्णमासी का चांद
बरसती चांदनी मैं निहारूंगी
तुमको गर ये सुहाता है
तो आओ मेरे संग बैठो
लेकिन मुझे मत रोको
करने दो मुझे भी मन की
मुझे मत रोको

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