मंगलवार, 19 अगस्त 2008

स्वयं को खोजने का हक नहीं है मुझे?

पैदा हुई तो बेटी हो गई
बड़ी हुई तो बहन हो गई
ब्हायी गई तो पत्नी हो गई
घर की लक्ष्मी हो गई
फिर सौभाग्यवती हो गई
क्यों कि मैंने ओढ़ ली जिम्मेवारियों की चुनरी
इन सब में मैं कहां थी?
इसका जवाब खोजना चाहा तो
न बेटी-बहन रही न पत्नी रही
न सौभाग्यवती रही
न घर की लक्ष्मी रही
स्वयं को खोजने का हक नहीं है मुझे?

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