मंगलवार, 19 अगस्त 2008

मल्लाह आज आहत है

मल्लाह आज आहत है
फिर से कुछ पाने की चाहत है
उसकी वजह है नदी, तूफानी नदी
नदी जो सालों से चुप चाप सी बह रही थी
नदी जो सालों से बोझ को सह रही थी
उसमें उठ आये हैं तूफान
इसी लिये
मल्लाह आज आहत है
फिर से कुछ पाने की चाहत है
उसे चुप चाप बहती नदी में नाव खेने की आदत रही
उसे अपनी मस्ती में लहरों को रोंदने की आदत रही
पर आज नाव डोल रही है क्योंकि
नदी ने चुप्पी तोड़ दी है
उसमें उठ आये हैं तूफान
मल्लाह को समझ नहीं आ रहा है ,क्या जुगत लगाए
तूफानी लहरों पर कैसे काबू पाए
मल्लाह आज आहत है
फिर से कुछ पाने की चाहत है

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