शनिवार, 9 अगस्त 2008

मेरा क्या कसूर

क्यों फैंका गया मुझे नहर में
औरत मर्द के देह सुख से उपजी हूं मैं
उस औरत मर्द के लिये मैं कुछ भी नहीं थी
इसी लिये उन्होंने मुझे फैंक दिया नहर में
फैंके जाने के बाद फंसी झािड़यों में
और आ गई किसी नजर में
फैंके जाने का दर्द है बहुत बड़ा दर्द
मेरे जिस्म पर भी और मन पर भी
लोग कह रहे हैं
अब मेरी दुनिया बदल रही है
हो सकता है सही कह रहे हों
कल पता नहीं क्या हो,
यह दर्द कम हो जाये या जानलेवा हो जाए
मुझे नाम मिल गया है
करूणा
हरियाणा की करूणा
कोई गोद भी मिल जायेगी
फिर भी मैं सोचूंगी
आखिर मुझे क्यों फैंका गया नहर में
क्या मैं बेटी थी इस लिये
वो बेटी जो भाई के लंबी उमर के लिये दुआ करती है
वो बेटी घर आंगन का करती है ख्याल
अपनी आखिरी सांस तक

मनविंदर भिम्बर

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

वो बेटी जो भाई के लंबी उमर के लिये दुआ करती है
वो बेटी घर आंगन का करती है ख्याल
अपनी आखिरी सांस तक
इसलिए तो बेटियां फेकी जाती है ?